संवैधानिक अथवा असंवैधानिक --पिछले दिनों विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन अथवा विरोध में अपने राज्यों में रैलियां की रैली को नाम कुछ भी दिया गया लेकिन इन सबके मूल में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध अथवा समर्थन रहा जहाँ भी ये रैलियां अथवा जनसभा हुईं वहां अधिकांश स्थानों पर इन्टरनेट को भी बंद किया गया और खुद के नेतृत्व में शक्ति प्रदर्शन किया गया पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रमुख रहे जिन्होंने नागरिकता कानून के विरोध में जनसभा अथवा रैलियां की मेरा प्रश्न केवल इतना है कि संसद द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने के बाद जो यह किया गया वह कितना संविधान सम्मत है देश की जनता ने अपने मतदान का अधिकार का उपयोग कर संसद को चुना है संसद ने ही नागरिकता कानून को बहुमत से पारित किया है उस कानून के विरोध में राज्य स्तर पर एक निर्वाचित मुख्यमंत्री द्वारा विरोधही नहीं करना बल्कि उसके विरोध में जनमत को विरोध करने के लिए आव्हान करना कितना संवैधानिक है मैं कानून का विद्यार्थी नहीं रहा इसलिए मैं आपकी अदालत में यह प्रश्न रख रहा हूँ मेरे वे मित्र जो संविधान की जानकारी रखते हैं मेरा मार्ग दर्शन कर सकें तो आभारी रहूँगा
संवैधानिक अथवा असंवैधानिक