अन्त बुरे का बुरा कर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित है

कर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित हैकर बुरा हो बुरा अंत बुरे का बुरा --कानून की चक्की माना थोड़ी धीरे चलती है लेकिन जब चलती है तो ऐसा पीसती है कि खाने वाला रोने और घिघियाने लगता है --इनमे सबसे पहला मामला उत्तरप्रदेश के चार बार विधयक रहे कुलदीप सैंगेर का है जिसने सत्ता के दंभ में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया सत्ता का ऐसा नशा कि उसके सामने उत्तर प्रदेश का योगी राज भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सका राज्य का कानून बौना बनकर रह गया पुलिस उसकी दासी बन गयी लेकिन जब अन्याय की सीमा हद पार कर गयी तब इंसाफ के देवता का सिंहासन हिला और कुलदीप के पाप के घड़े को फोड़ने के लिए न्याय पालिका आगे आई और कुलदीप की करतूत रुपी मुक़दमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और अनेकों वर्षों के प्रयास से कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा मिली अभी उसके शेष पापों का हिसाब होना बाकि है दुसरे की बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले कुलदीप के वकीलों ने उसे इस मुक़दमे की सजा कम देने की इसलिए गुहार लगाई कि उसकी दो बेटियां विवाह योग्य हैं अपनी बेटी की इतनी चिंता और दुसरे की बेटी खिलौना जिससे खेलते रहे तो कम क्यों और अधिक सजा होनी चाहिए जो शेष बचे मुकदमों में होनी निश्चित है


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जैसेकर्म करेगा वैसा फल देगा कानून
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पूतसपूत तो का धन संचय पूत कपूत तो का धन संचयपूत कपूत तो का धन संचय -पूत सपूत तो का धन संचय --जब में बहुत छोटा था तो मेरे दादाजी की कही ये बात मुझे याद है जिसका मतलब है यदि बेटा योग्य है तो धन क्या कमाना वह खुद संचित कर लेगा और बेटाअयोग्य है तो किसके लिए धन कमाना वह कमाए हुए को ही बर्बाद कर देगा आज यही स्थिति नारायण राणे और कैलाश विजय वर्गीय सहित अनेक माता पिताओं की है की है बेटे के कृत्यों से उनकी इज्जत और सम्मान को ठेश लगी है और सबसे अधिक ठेश तो उन माता पिता की इज्जत और सम्मान को लगी जिनके बेटे दुष्कर्म ,बलात्कार,बह्शियत और हैवानियत जैसे अपराधों में लिप्त हैं इज्जत और सम्मान की बात करें तो जिन माँ बाप के बेटे आतंकी बन गए उनके परिवार की शाख और इज्जत भी दाव पर लगी है भगवान् बेटे तो दे लेकिन ऐसे कपूत ना दे जिनके कारण माता पिता की इजत और सम्मान को ठेश पहुचती है
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